Do You Have Kapha Prakriti? Know 8 Ways To Balance Kapha in Ayurveda

“स्नेहो बन्धः स्थिरत्वं च गौरवम वृषता बलम्।
क्षमा धृतिरलोभश्च कफ कर्माविकारजम् ।।”

  1. स्निग्धता
  2. बंधन (बाँधने का गुण)
  3. स्थिरता
  4. गुरुता (भारीपन)
  5. वृषता (Vigor & Vitality)
  6. बलवान
  7. क्षमावान, धैर्यवान, अलोभी

कफ के गुण

“गुरु शीत मृदु स्निग्ध मधुर स्थिर पिच्छिलाः।”

  1. गुरु (देर से पचने वाला)
  2. शीत (ठण्डी तासीर)
  3. मृदु (soft)
  4. स्निग्ध (चिकनाई युक्त)
  5. मधुर (मीठा)
  6. स्थिर
  7. पिच्छिल (चिपचिपाहट युक्त)

कफ प्रकृति के लक्षण

  1. स्निग्ध, मोटे एवं भारी अंगों वाले
  2. देखने में सुन्दर, गौर वर्ण के
  3. महाबली (शारीरिक बल ज्यादा)
  4. मजबूत, हृष्ट-पुष्ट शरीर
  5. धीमी चाल
  6. कम मात्रा में व धीमी गति से भोजन
  7. कार्यों को करने में धीमी किन्तु स्थिर गति (continuous)
  8. शांत व गंभीर बुद्धि (deep thinking)
  9. भूख प्यास बहुत कम
  10. अधिक सहन शक्ति
  11. ठण्ड सहन नहीं होती
  12. गरम पसंद होता है
  13. सपने में पानी, झरना, नदियां व समुद्र देखते हैं।
  14. रोग कम होते हैं।

अपनी प्रकृति को पहचान कर उसको संतुलित करने वाले आहार विहार का अभ्यास करें ।

कफ को सम रखने के उपाय

  1. कटु-तिक्त-कषाय रस का प्रयोग अधिक करें
  2. मधुर-अम्ल-लवण रस का प्रयोग कम करें
  3. रुखा-सूखा भोजन करें
  4. व्यायाम फायदेमंद है
  5. उपवास करें
  6. ठन्डे भोजन एवं ठन्डे स्थान से बचें
  7. दही, मिठाइयाँ, दिन में सोना विशेष रूप से नुकसानदायक हैं

ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः
सर्वे सन्तु निरामयाः।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद्दुःखभाग्भवेत।

सभी सुखी रहें,
सभी रोग मुक्त रहें,
सभी मंगलमय घटनाओं के साक्षी बनें और किसी को भी दुःख का भागी न बनना पड़े।