
"पित्त पंगु कफ पंगु पंगवो मल धातवः।
वायुना हि यत्र नियन्ते तत्र गच्छन्ति मेघवत्।।"
जैसे आसमान में वायु ही बादलों को एक जगह से दूसरी जगह पर लेकर जाती है, उसी तरह से शरीर में दोष, धातुऐं, और मल अपनी सभी क्रियाओं के लिए पूरी तरह से वात दोष पर निर्भर हैं ।
शरीर में वात के कार्य
"उत्साहो श्वासनिःश्वास चेष्टा धातुगति समा।
समो मोक्षो गतिमतां वायोः कर्मविकारजम् ।।"
- उत्साह (प्रेरणा )
- शारीरिक एवं मानसिक चेष्टाएँ
- श्वास-निःश्वास की क्रिया
- धातुओं की सम्यक् गति
- मलादि की सम्यक् गति
वात के गुण
"रूक्ष: शीतो लघु सूक्ष्म चल विशद: खर:।"
- रूक्ष (रूखापन)
- शीत (ठंडा)
- लघु (हल्का)
- सूक्ष्म (अव्यक्त )
- चल (चलायमान )
- विशद (Clear)
- खर (खुरदरा)
वात प्रकृति के लक्षण
- शरीर दुबला- पतला
- सांवला रंग
- आवाज़ रूखी, फटी हुई एवं धीमी
- कम नींद
- कम भोजन
- कमजोर पाचन (अजीर्ण, कब्ज, गैस)
- चंचल
- हाथ पैरों का चलाना
- अधिक बोलने वाले
- कमजोर मित्रता
- अविश्वसनीय
- जल्दी काम करने वाले
- बेचैन
- weak Immunity
- डरपोक
- सर्दी व बारिश नापसंद /गर्मी पसंद
- जोड़ों में से आवाज़
- शरीर में जकड़न /दर्द /फड़कन
- कमजोर शारीरिक बल
- बुद्धि का extreme use
- highly creative
- बुद्धि के quick reflexes
- ख्याली पुलाव बनाना (अधिक कल्पनाशील)
वात को सम रखने के उपाय
- स्नेहन एवं स्वेदन (मालिश एवं सिकाई)
- उष्ण भोजन खाएं
- ठंडी चीजें न खाएं
- बासी खाना न खाएं
- समय पर खाना खाएं
- मधुर-अम्ल-लवण रस प्रधान भोजन खाएं ।
- कटु-तिक्त-कषाय रस प्रधान भोजन न खाएं ।
- अधिक व्यायाम न करें
- शरीर और मन को आराम दें।
ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः
सर्वे सन्तु निरामयाः।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद्दुःखभाग्भवेत।
सभी सुखी रहें,
सभी रोग मुक्त रहें,
सभी मंगलमय घटनाओं के साक्षी बनें और किसी को भी दुःख का भागी न बनना पड़े।

Dr. Dinesh Sharma
Dr. Dinesh Sharma is an Ayurvedic Eye Specialist and Founder of Prakash Nethralaya treating severe eye and chronic diseases since 2005 and promoting ways to keep eyes healthy with a crystal clear vision. Know More
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