कोनसी है आपकी प्रकृति? जानिए आपके शरीर के वात पित्त कफ के Levels को

"शुक्र शोणित संयोगे यो भवेत् दोष उत्कटः"

प्रकृति को प्रभावित करने वाले कारण

  1. शुक्र एवं शोणित की प्रकृति (माता एवं पिता की प्रकृति)
  2. माता का आहार-विहार
  3. माता की अवस्था (उम्र)
  4. महाभूतों के विकार

7 types of प्रकृतियां 

  1. वात
  2. पित्त
  3. कफ
  4. वात-पित्त
  5. पित्त-कफ
  6. वात-कफ
  7. वात-पित्त- कफ (सम प्रकृति )

प्रकृतियों की श्रेष्ठता

  1. सर्वश्रेष्ठ प्रकृति - सम प्रकृति
  2. कफ
  3. पित्त
  4. वात
  5. द्वंदज प्रकृतियां 

वात प्रकृति

"अल्पकेश: कृशो रूक्षो वाचालश्च मानस :।
आकाशचारी स्वप्नेषु वातप्रकृतिको नर : ।।"

  1. कम बाल 
  2. दुबला पतला
  3. रुखापन
  4. ज्यादा बोलने वाला 
  5. मन से चञ्चल
  6. सपने मे आसमान मे उड़ने वाला 

पित्त प्रकृति

"अकाले पलितैर्व्याप्तो धीमान स्वेदी च रोषण :।
 स्वप्नेषु ज्योतिषां द्रष्टा पित्तप्रकृतिको  नर :॥"

  1. बालों का समय से पहले सफ़ेद होना 
  2. बुद्धिमान् 
  3. अधिक पसीना आना
  4. गुस्से का स्वभाव 
  5. सपने मे तेज रोशनी को देखना 

कफ प्रकृति

"गंभीर बुद्धि स्थूल अंग स्निग्ध केशो महाबलः ।
स्वप्ने जलाशय लोकी कफप्रकृतिको नरः।।"

  1. गम्भीर स्वभाव 
  2. मोटापा
  3. घने काले बाल 
  4. ताकतवर 
  5. सपने मे पानी को देखने वाला 

अपनी प्रकृति को पहचान कर उसको संतुलित करने वाले आहार विहार का अभ्यास करें ।

मानसिक प्रकृतियाँ

  1. सात्विक प्रकृति
    1. शांत 
    2. संतोषी जीवन 
    3. गुस्सा नहीं करते  
    4. परोपकारी
    5. दूसरों को कभी कष्ट नहीं देते
    6. काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार नहीं होता 
    7. सुख दुःख में एक जैसे 
    8. प्रकृति के साथ दिनचर्या का तालमेल 
    9. प्रसन्नचित व मधुर वाणी
    10. दूसरे जीवों के साथ तालमेल 
  2. राजसिक प्रकृति 
    1. राजा की तरह व्यवहार करते हैं।
    2. काम ,क्रोध,लोभ, मोह ,अहंकार के गुणों का प्रदर्शन 
    3. इच्छाओं एवं महत्वाकांक्षाओं को रखते हैं।
    4. भौतिक सुखों को चाहने वाले 
    5. सुख में सुखी एवं दुःख में दुखी
  3. तामसिक प्रकृति
    1. बुद्धिहीन
    2. मांस, मदिरा का सेवन 
    3. झगड़ालू प्रवृत्ति के
    4. अहंकारी 
    5. स्वार्थी 
    6. दूसरे जीवों व प्रकृति को महत्व नहीं देते 
    7. अपराधी प्रवृति के
    8. बिना कारण दुखी

ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः
सर्वे सन्तु निरामयाः।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद्दुःखभाग्भवेत।

सभी सुखी रहें,
सभी रोग मुक्त रहें,
सभी मंगलमय घटनाओं के साक्षी बनें और किसी को भी दुःख का भागी न बनना पड़े।

 

Dr. Dinesh Sharma

Dr. Dinesh Sharma is an Ayurvedic Eye Specialist and Founder of Prakash Nethralaya treating severe eye and chronic diseases since 2005 and promoting ways to keep eyes healthy with a crystal clear vision. Know More

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